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दिव्यांग कल्याण

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दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा - 84/85 का क्रियान्वयन

 

दिव्यांगजनो के कल्याणार्थ संचालित कार्यक्रम:-

 
1. शारीरिक रूप से दिव्यांग व्यक्तियों को कृत्रिम अंग एवं श्रवण सहायक यंत्र क्रय हेतु अनुदान योजना:
    योजना के मानक व दरें :

• अभ्यर्थी को कृत्रिम अंग अथवा श्रवण सहायक यन्त्र लगाने की संस्तुति चिकित्साधिकारी द्वारा की गई हो।
• अभ्यर्थी(नाबालिग होने की स्थिति में माता-पिता की) की मासिक आय रुपये 4000.00 तक हो।
• अनुदान की राशि अधिकतम रुपये 3500.00 तक है।


2.दिव्यांग छात्र/छात्राओं को छात्रवृति योजना :
दिव्यांग छात्र आर्थिक विशमताओं के कारण शिक्षण/प्रशिक्षण प्राप्त नहीं कर पाते हैं और उनका जीवन यापन स्वावलम्बी नहीं बन पाता है. अतः  इच्छुक छात्रों को इस योजना के अन्तर्गत छात्रवृति देकर शिक्षा के माध्यम से स्वावलम्बी बनाया जाता है. ताकि वे शिक्षा तथा व्ययावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करके समाज में सम्मानपूर्ण जीवन यापन कर सकें।
• दिव्यांग छात्र/छात्रों के लिए कक्षा 1 से 9 शिक्षा तक  निम्न दरों एंव मानकों के अनुसार छात्रवृति प्रदान की जाती है !
• दिव्यांग छात्र/छात्रा कम से कम 40 प्रतिषत  दिव्यांगता प्रमाण-पत्र  मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा दिया गया हो।
• छात्र/छात्रा किसी शैक्षणिक संस्था में नियमित  अध्ययनरत हो।
• छात्र/छात्रा के माता-पिता/अभिभावक की वार्षिक आय रु.24000/- तक हो।
• छात्र/छात्रा द्वारा छात्रवृति हेतु निर्धारित प्रार्थना-पत्र मय प्रमाण-पत्रों के अपनी शिक्षण संस्था में प्रस्तुत करना होगा।
• संबंधित संस्था छात्रवृति प्रार्थना-पत्र का परीक्षण कर दिनांक 31. जुलाई तक जिला समाज कल्याण अधिकारी, को प्रेषित करेंगे।
• जिला समाज कल्याण अधिकारी छात्र/छात्रा के आवेदन-पत्र का परीक्षण कर छात्रवृति हेतु पात्र पाये जाने पर छात्रवृति की धनराशि संस्था/छात्र/छात्रा के खातों में स्थानान्तरित करेगें।
• छात्रवृति की दरें निम्नानुसार है। ( वर्ष 2005-06 से प्रभावी )

छात्रवृति के मानक

अवधि

(अधिकतम)

कक्षा

दर प्रतिमाह

माता-पिता की   आय सीमा

1-5

रू. 50/-

 अधिकतम रु. 2000/- प्रतिमाह

12 माह

6-8

रू 80/-

अधिकतम रु. 2000/- प्रतिमाह

12 माह

 

2.1. पूर्वदशम् दिव्यांग छात्रवृत्ति योजना (कक्षा 9 से 10) हेतु आवश्यक दिशा निर्देश 

2.2. दशमोत्तर दिव्यांग छात्रवृत्ति योजना हेतु आवश्यक दिशा निर्देश 


3   दिव्यांग भरण पोषण अनुदान

      प्रदेश में दृष्टिबाधित, मूक बधिर तथा शारीरिक रूप से दिव्यांग निराश्रित ऐसे व्यक्तियों को जिनका जीवन यापन के लिए    स्वयं का न तो कोई साधन है और न ही वे किसी प्रकार का ऐसा परिश्रम कर सकते हैं, जिससे उनका भरण पोषण हो सके, इस उद्देष्य से निराश्रित दिव्यांगजनों को सामाजिक सुरक्षा के अर्न्तगत जीवन-यापन हेतु सरकार की कल्याणकारी योजना के अर्न्तगत निराश्रित दिव्यांग भरण-पोषण अनुदान दिये जाने की योजना लागू की गयी जिसे सामान्यतया दिव्यांग पेंशन के नाम से भी जाना जाता है।  

 

   विभिन्‍न श्रेणी के निराश्रित दिव्यांग व्‍यक्तियों को निम्‍न मानकों एवं दरों के अनुसार भरण पोषण अनुदान दिया जाता है:-

i. अभ्‍यर्थी की दिव्यांगता कम से कम 40 प्रतिशत होने का प्रमाण-पत्र मुख्‍य चिकित्‍सा अधिकारी द्वारा 
प्रदान किया गया हो
ii. अभ्यर्थी की आय का कोई साधन न हो अथवा बी०पी०एल० चयनित परिवार से संबंधित हो अथवा मासिक आमदनी रु०  
    24,000/- तक हो । 
iii. अभ्यर्थी का पुत्र/पौत्र 20 वर्ष से अधिक आयु का है, किन्तु गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहा हो, तो ऐसे
    अभ्यर्थी भरण-पोषण अनुदान के पात्र होंगे।       

iv. दिव्यांग भरण पोषण अनुदान (दिव्यांग पेंशन) रुपये 1200/- प्रतिमाह।
v. कुष्ठ रोग से मुक्त दिव्यांग को रुपये 1200/- प्रतिमाह।
 इन्दिरा गॉधी
राष्ट्रीय दिव्यांगता पेंशन योजनार्न्‍तगत गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले 18 वर्ष  से 65 वर्ष तक आयु के 80% दिव्यांग अथवा बहु  दिव्यांगता वाले अभ्यर्थी को कुल रु 1200.00 जिसमें  रु 900.00 राज्य सरकार तथा रुपये 300.00 भारत सरकार द्वारा अनुदान दिया जायेगा।

4 . दक्ष दिव्यांगजनों एवं उनके सेवायोजकों को राज्य स्तरीय पुरस्कार :
दिव्यांग कर्मचारियों को अधिकाधिक रोजगार के अवसर सुलभ कराने के उद्देश्य से राज्‍यस्‍तरीय पुरस्कार की योजना चलाई जा रही है. सरकार द्वारा विभिन्न श्रेणी के दिव्यांग कर्मचारियों एवं उनके सेवायोजकों को राज्यस्तरीय पुरस्कार के रूप में रू0 5000/- की धनराशि नकद प्रदान की जाती है।


5.  दिव्यांगजनों हेतु शिविरों/सेमिनारों का आयोजन :
    दिव्यांगजनों को उनकी सुविधानुसार उनके नजदीकी क्षेत्रों में वार्षिक सत्‍यापन एवं पेंशन स्वीकृत किये जाने हेतु  शिविरों एवं सेमिनारों का आयोजन किये जाने की व्यवस्था की जाती है.


6.  दिव्यांग युवक/युवती विवाह प्रोत्साहन अनुदानः-
 सामान्य युवक, युवतियों द्वारा दिव्यांग युवक/युवती से विवाह करने पर प्रोत्साहन अनुदान  योजना के अन्तर्गत दिव्यांग युवक अथवा युवती से शादी करने पर दम्पत्ति को क्रमशः रूपये 25,000  का प्रोत्साहन अनुदान दिया जाता है.


योजना के मानक व दरें :
• दम्पति भारत का नागरिक हो।
• दम्पति उत्तराखण्ड का स्थायी निवासी हो या कम से कम पॉच वर्ष से उसका अधिवासी हो ।
• दम्पति में से कोई सदस्य किसी आपराधिक मामले में दंडित न किया गया हो।
• शादी के समय युवक कम से कम 21 वर्ष तथा 45 से अधिक न हो तथा युवती कम से कम 18 वर्ष तथा  45 वर्ष से अधिक न हो।
•  दम्पति का विवाह प्रचलित सामाजिक रीति-रिवाज से हुआ हो अथवा सक्षम न्यायालय द्वारा कानूनी विवाह किया गया हो ।
• दम्पति में से कोई सदस्य आयकरदाता की श्रेणी में न हो।
• जिसके पास पूर्व से कोई जीवित पत्नी न हो और उनके ऊपर महिला उत्पीड़न या अन्य आपराधिक मुकदमा न चल रहा हो।
• सामान्य युवक द्वारा दिव्यांग युवती से विवाह करने पर अनुदान की राशि रुपये 25,000/-  होगी ।


7. दिव्यांगजनों हेतु आश्रित कर्मशालायें :-

 
शारीरिक रूप से दिव्यांगजनों के लिए राजकीय प्रशिक्षण केन्द्र एवं आश्रित कर्मशालायें टिहरी गढ़वाल, पिथौरागढ़ एवं नैनीताल में संचालित हैं. इन कर्मशालाओं में दिव्यांग व्यक्तियों को मोमबत्ती, साबुन, हथकरघा, स्वेटर, शाल आदि बनाने/बुनाई का प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है. वित्तीय वर्ष 2008-09 से कम्पयूटर व्यवसाय संचालित किये जाने का प्रस्ताव किया गया है।

8. सुगम्य भारत अभियान :-

 

 9. DARC (जिला दिव्यांग पुनर्वास सेंटर)-