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उत्तराखण्ड सरकार समाज के सर्वाधिक निर्बल वर्गों यथा अनुसूचित जाति, निराश्रित वृद्ध एवं असहाय लोगों के समग्र उत्थान हेतु कृत संकल्प है. इसी लक्ष्य को दृष्टिगत रखते हुये समाज कल्याण विभाग का गठन किया गया है.
उत्तराखण्ड राज्य गठन के उपरान्त जनजाति विकास, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, विकलांग कल्याण विभाग एवं पिछड़ा कल्याण विभाग को पुनर्गठित करते हुये वर्ष २००१-०२ में अलग-अलग विभागों में विभाजित विभागों को पुनः समाज कल्याण विभाग के रूप में पुनर्गठित किया गया था. मार्च २००६ में जनजाति विकास को पृथक कर जनजाति कल्याण के नाम से विभाग का गठन किया गया है। राज्य सरकार की प्रतिबद्धताओं के अनुसार अनुसूचित जातियों/जनजातियों/ पिछड़ी जातियों/ अल्पसंख्यकों/ विकलांगों एवं दलित कमजोर वर्गों के कल्याण एवं उनके जीवन स्तर में सुधार हेतु उच्च प्राथमिकता दी गयी है। विभिन्न विकास योजनाओं से इन वर्गों के लोगों के आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षिक उत्थान हेतु च्चिक्षा, गरीबी की रेखा से ऊपर उठाना, कौच्चल सुधार तथा स्वरोजगार के लिये सहायता प्रदान कर इन वर्गों के सर्वागीण विकास का प्रयास किया जा रहा है तथा इन वर्गों के लिये विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का मुख्य उद्देच्च्य से पिछड़े एवं उपेक्षित असहाय व दुर्बल लोगों के जीवन स्तर को इस योग्य बनाना है कि उनका शैक्षिक, सामाजिक एवं आर्थिक स्तर विकसित वर्गों के बराबर लाया जा सके.
Ministry of Social Justice and Empowerment Ministry of Tribal Affairs Ministry of Women & Child Development Eklavya Adarsh Awasiya Vidhyalaya, Dehradun