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- अनुसूचित जाति एवं जनजाति उप योजनाओं का क्रियान्वयन
उत्तराखण्ड में अनुसूचित जाति उप योजना (एस.सी.एस.पी.) एवं जनजाति उप योजना (टी.एस.पी.) का क्रियान्वयन
प्रिंट
राज्य में एस.सी.एस.पी. एवं टी.एस.पी. का कार्य वर्ष 2004-05 में नियोजन विभाग से समाज कल्याण विभाग को स्थानान्तरित किया गया।
- एस.सी.एस.पी. एवं टी.एस.पी. हेतु समाज कल्याण विभाग को नोडल विभाग नामित किया गया।
- इसके अन्तर्गत प्रमुख सचिव/सचिव, समाज कल्याण के अधीन एक प्रकोष्ठ (बमसस) का गठन किया गया है, जो कि राज्य के विभिन्न विभागों से समन्वय कर अनुसूचित जाति उप योजना एवं जनजाति उप योजना का गठन एवं अनुश्रवण करता है। समाज कल्याण विभाग द्वारा एस.सी.एस.पी. एवं टी.एस.पी. के अन्तर्गत ऐसे उद्देश्यपरक कार्यक्रमों का समावेश इन योजनाओं के अन्तर्गत किये जाने के निर्देश निर्गत किये गये, जिनसे इन लक्षित वर्ग के लोगों को अधिकतम लाभ प्राप्त हो सके।
- राज्य सरकार द्वारा राज्य योजना परिव्यय में अनुसूचित जातियों और जनजातियों की जनसंख्या के अनुपात में अनुसूचित जाति उप योजना और जनजाति उप योजना के लिए परिव्यय का निर्धारण किया जाता है।
- विभाग द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति बाहुल्य ग्रामों अर्थात 40 प्रतिशत या इससे अधिक अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या वाले ग्रामों की सूची प्रकाशित कर विभिन्न विभागों को वितरित करवायी गयी है।
- वर्ष 2011 की जनसंख्या के अनुसार 2545 अनुसूचित जाति बाहुल्य ग्राम तथा 509 अनुसूचित जनजाति बाहुल्य ग्राम चिन्हांकित किये गये हैं।
- राज्य सरकार द्वारा अनुसूचित जाति उप योजना एवं जनजाति उप योजना तथा उससे सम्बन्धित विषयों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए तुरन्त कार्यवाही करते हुए उत्तराखण्ड राज्य अनुसूचित जाति उप योजना और जनजाति उप योजना (नियोजन, धनावंटन तथा उपयोग) अधिनियम, 2013 प्रख्यापित किया गया है।
- राज्य में अनुसूचित जाति उप योजना एवं जनजाति उप योजना के अनुश्रवण हेतु राज्य स्तर पर विभागीय मंत्री की अध्यक्षता में राज्य स्तर समिति का गठन किया गया है।
- राज्य के आय-व्ययक में अनुसूचित जाति उप योजना (ैब्ैच्) हेतु पृथक से अनुदान संख्या-30 एवं जनजाति उप योजना (ज्ैच्) हेतु अनुदान संख्या-31 रखी गई हैं, जिनके अन्तर्गत विभिन्न विभागों के अनुसूचित जाति उप योजना (ैब्ैच्) एवं जनजाति उप योजना (ज्ैच्) के अंतर्गत संचालित किये जाने वाले कार्यक्रमों हेतु धनराशि का प्राविधान किया जाता है, जिसका उपयोग इन वर्गों के कल्याण पर ही किया जा सकता है तथा इस अनुदान के अंतर्गत प्राविधानित धनराशि को विपथित (कपअमतज) नहीं किया जा सकता है।
- भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रमों (डछच्े) एवं अवस्थापना विकास कार्यक्रमों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
- राज्य में अनुसूचित जाति उप योजना एवं जनजाति उप योजना के अन्तर्गत पेयजल, सम्पर्क मार्ग, विद्युतिकरण, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पुष्टाहार से संतृप्तिकरण हेतु विशेष प्रयास किये जा रहे हैं।